राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड- रा.बा.बो. (National Horticulture Board, NHB)

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, रा.बा.बो. (National Horticulture Board, NHB): राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (रा.बा.बो.) की स्थापना भारत सरकार द्वारा अप्रैल, 1984 में डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन, तत्कालीन सदस्य (कृषि), योजना आयोग, भारत सरकार की अध्यक्षता में ‘‘विनाशवान कृषि उत्पादों पर समूह’’ की सिफ़ारिशों के आधार पर की गई थी। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड, सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के अंतर्गत एक सोसाइटी के रूप में पंजीकृत है तथा इसका मुख्यालय गुरूग्राम में है।

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय बागवानी मिशन की शुरुआत वर्ष 2005-06 (दसवीं योजना) के दौरान केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में की गई थी। इस योजना का उद्देश्य भारत में बागवानी क्षेत्र का व्यापक वृद्घि करने के साथ-साथ बागवानी उत्पादन में वृद्घि करना है। 11 वीं योजना के दौरात भारत सरकार की सहायता का अंश 85 प्रतिशत तथा राज्य सरकारों का अंशदान 15 प्रतिशत होगा।

Rashtriya Bagwani Board - NHB

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB) रा.बा.बो. की योजनाएँ

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड बागवानी समेकित विकास मिशन (एमआईडीएच) की उप योजना के रूप में कार्यक्रमों को कार्यान्वित करता है। राबाबो एमआईडीएच के तहत एनएचएम और एनबीएम सहित राष्ट्रीय स्तर टीएसजी को भी रखेगा और उनके क्रियान्वयन के संबंध में प्रशासनिक, संभार-तंत्र संबंधी और कार्मिक सहायता को बढाएगा। (मूल बेबसाइट)

राबाबो योजनाओं की सूची नीचे दी गई हैः-

  1. बागवानी फसलों के उत्पादन तथा कटाई पश्चात प्रबंधन के माध्यम से वाणिज्यिक बागवानी का विकास।
  2. बागवानी उत्पाद के लिए शीत संग्रहगारों/भंडारणों के निर्माण/विस्तार/आधुनिकीकरण के लिए पूंजी निवेश सहायिकी योजना।
  3. बागवानी के संवर्धन के लिए प्रौद्योगिकी विकास और अंतरण
  4. बागवानी फसलों के लिए बाजार सूचना सेवा
  5. बागवानी संवर्धन सेवा/विशेषज्ञ सेवाए

उपरोक्त उल्लिखित योजनाओं के लिए लागत प्रतिमानकों और सहायता-तरीका को संलग्नक (III) में दिया गया है।

सभी योजनाओं के लिए सामान्य दिशा-निर्देश

1. आवेदन पत्र को भरने की प्रक्रिया

आन-लाईन आवेदन पत्र, आवेदन पत्र की लागत, परियोजनाओं का निरीक्षण, परियोजना प्रस्तावों की संवीक्षा के लिए संवीक्षा मानदंडों, प्रक्रिया एवं विभिन्न स्वीकृतियों और अनुमोदनों एवं रिकार्ड रखरखाव सहित सभी योजनाओं के अंतर्गत वित्तीय सहायता के लिए आवेदन पत्र को भरने हेतु विस्तृत प्रक्रिया समय-समय पर निदेशक मंडल/प्रबंध समिति द्वारा निर्धारित की जाएगी।

2. वित्तीय सहायता की मंजूरी हेतु प्रक्रिया

अनुमोदित प्रतिमानकों के अनुसार वित्तीय सहायता की मंजूरी निदेशक मंडल/कृषि एवं सहकारिता विभाग, कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार की जाएगी। विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत वित्तीय सहायता की मंजूरी हेतु प्रक्रिया संबंधित अघ्यायों में दी गई है।

3. लागू होने की तारीख

योजना के दिशा-निर्देश 01-04-2014 से लागू होंगे।

4. पात्र संगठन

जब तक अन्यथा विनिर्दिष्ट न हो, संगठनों/प्रवर्तकों जैसे उत्पादकों की एसोसिएशन, व्यक्ति, किसान उत्पादकों/उपभोक्ताओं का समूह, कृषक उत्पादक संगठनों (एफपीओ), भागीदारी/मालिकाना फर्मों, स्वतः सहायता समूह (एसएचजीओ), गैर सरकारी संगठनों, कम्पनियों, निगमों, सहकारिताओं, सहकारी विपणन फेडरेशनों, कृषि उत्पाद विपणन समितियां, विपणन बोर्ड/समितियां, नगर निगमों/समितियों, कृषि उद्योग निगमों, एस.ए.यू, और अन्य संबंधित अनुसंधान और विकास संगठन जोकि रा.बा.बो. की सभी योजनाओं के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए पात्र है।

5. सहायता का तरीका

विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सहायता का तरीका और घटकों का ब्योरा उनसे संबंधित अध्यायों में दिया गया है। सहायता का तरीका, लागत प्रतिमानकों, पात्रता, योजना क्रियान्वयन की प्रक्रिया आदि में सरकार द्वारा अनुमोदित परिवर्तनों को अभी से दिशानिर्देशों में समय-समय पर शामिल किया जाएगा। रा.बा.बो. की योजनाओं और एनएचएम सहित एमआईडीएच की अन्य योजनाओं का आपस में अनन्य होगा और लाभ का दावा केवल एक परियोजना के लिए एक योजना से लिया जा सकता है। वे घटक जो एमआईडीएच की किसी भी अन्य उप योजनाओं अथवा अन्य केन्द्रीय योजना के अंतर्गत सहायता प्राप्त है, रा.बा.बो की सहायता के लिए पात्र नहीं होंगें।

6. लागत प्रतिमानक

लागत प्रतिमानकों का उद्देश्य कुछ निश्चित क्षेत्रों में निवेश प्रोत्साहन करना है और परियोजना में केवल स्वीकार्य मदों से संबंधित है। इसके अलावा, परियोजनाओं के लिए लागत प्रतिमानकों (अध्याय-V पृ.सं. 85-100) को निधीयन तंत्र के रूप में न समझा जाए।

7. कानूनी

कोई भी विवाद केवल गुड़गाँवा न्यायालय के क्षेत्राधिकार के आधीन होगा।

रा.बा.बो. की योजनाओं की जानकारी

  1. वाणिज्यिक बागवानी योजना
  2. कोल्ड स्टोरेज योजना
  3. प्रौद्योगिकी विकास और हस्तांतरण योजना दिशानिर्देश
  4. बागवानी फसलों के लिए बाजार सूचना सेवा योजना
  5. बागवानी संवर्धन सेवा

एनएचबी योजनाओं के लक्ष्य एवं उद्देश्य

एनएचबी का मुख्य उद्देष्य बागवानी उद्योग के एकीकृत विकास में सुधार करना और फलों एवं सब्जियों के उत्पादन और प्रसंस्करण को बनाए रखने और समन्वय बनाने में मदद करना है। बोर्ड के विस्तृत उद्देश्य इस प्रकार हैं

  1. चिह्नित क्षेत्रों में उच्च-प्रौद्योगिकी वाणिज्यिक बागवानी का विकास और ऐसे क्षेत्रों को बागवानी गतिविधि से गुंजायमान करना जो बाद में बागवानी के विकास के लिए केन्द्रों के रूप में कार्य करेंगे।
  2. क्षेत्र विस्तार परियोजनाओं के समग्र भाग के रूप में या परियोजनाओं के समूह के लिए सामान्य सुविधाओं के रूप में आधुनिक कटाई-उपरांत प्रबंधन की अवसंरचना का विकास करना।
  3. ताजे बागवानी उत्पाद के लिए एकीकृत, ऊर्जा कार्यक्षम शीत श्रृंखला अवसंरचना का विकास करना।
  4. प्रौद्योगिकी और जरूरत निर्धारण करने के पश्चात् वाणिज्यिकरण/अंगीकरण हेतु चिह्नित नई प्रौद्योगिकियों/औजारों/तकनीकों का प्रचार-प्रसार करना।
  5. कलम तथा प्रकंदन बैंकों/मदर प्लांट नर्सरियों की स्थापना का संवर्धन करते हुए और बागवानी नर्सरियों के प्रत्यायन/मूल्यांकन करते हुए तथा रोपण सामग्री के आवश्यकता आधारित आयातों द्वारा गुणवत्तायुक्त रोपण सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करना।
  6. ताजे बागवानी उत्पादों को बढ़ावा देना तथा बाजार का विकास करना।
  7. नए विकसित/आयातित रोपण सामग्री और अन्य कृषि निवेशों, उत्पादन प्रौद्योगिकी, पी.एच.एम. प्रोटोकॉल्स, आई.एन.एम. तथा आई.पी.एम. प्रोटोकॉल्स के फील्ड परीक्षणों को बढ़ावा देना तथा उद्गम प्रौद्योगिकी के वाणिज्यिकरण हेतु अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देना।
  8. लेबर लागत कम करने और बागवानी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए बागवानी में फार्म मषीनीकरण को इसके प्रदर्षन और किसानों के खेतों में इसके उपयोग के माध्यम से बढ़ावा देना।
  9. पी.एच.एम. प्रोटोकॉलों के लिए अनुप्रयुक्त अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देना, ताज़े बागवानी उत्पाद के लिए महत्वपूर्ण भंडारण परिस्थितियां निर्धारित करना, शीत श्रृंखला अवसंरचना के लिए तकनीकी मानकों के तलचिह्न स्तर निर्धारित करना आदि।
  10. उत्पादकों/किसानों तथा सेवा प्रदाताओं जैसे बाग़बानों, मालियों, फार्म स्तर पर कुशल कामगारों, कोल्ड स्टोरेज़ों में परिचालक, ताज़े बागवानी उत्पाद के प्रसंस्करण सहित फसल-कटाई उपरांत प्रबंधन करने वाले कार्यबल और मास्टर प्रशिक्षकों को प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण।
  11. बागवानी उत्पाद और उत्पादों के उपभोग को बढ़ावा देना।
  12. रेल आदि के माध्यम से बागवानी उत्पाद के थोक आवागमन के लिए लम्बी दूरी परिवहन समाधान को बढ़ावा देना।
  13. बागवानी के व्यवस्थित विकास के लिए अल्पावधि और दीर्घावधि रणनीतियाँ विकसित करने और अवरोधों की पहचान करने के लिए अध्ययन और सर्वेक्षण करना तथा सलाहकारी एवं परामर्ष सेवाओं सहित तकनीकी सेवाएं उपलब्ध करवाना।

बागवानी की सभी फसलों के बारे में जानने के लिए “बागवानी की फसले” पर जाएँ। यदि आपको इस टोपिक से संबन्धित कोई समस्या है तो आप वेधड़क कम्मेण्ट कर सकते हैं।